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Saturday, 21 February 2015

स्वाइन फ्लू की भारत में दहशत

Swine Flu
Swine Flu 
स्वाइन फ्लू ने भारत में दहशत मचा रखी है। यह महामारी तेजी से फैली और देखते ही देखते महानगरों को अपनी चपेट में ले लिया है। आमतौर पर पशुओं  को होने वाले वायरस के हमले कभी इंसानों तक नहीं पहुँचते। इसकी कारण यह है कि जीव विज्ञान की दृष्टि से इंसानों और जानवरों की बनावट में अंतर है। अभी तक यह  देखा गया था कि जो लोग सूअर पालन के व्यवसाय में हैं और लंबे समय तक सूअरों के संपर्क में रहते हैं, उन्हें स्वाइन फ्लू होने का खतरा अधिक रहता है। 

मध्य 20वीं सदी से अब तक के चिकित्सा इतिहास में केवल 50 मरीज ही ऐसे हैं जिनमें वायरस सूअरों से इंसानों तक पहुँचा हो। ध्यान  रखने योग्य यह बात है कि सूअर का माँस खाने वालों को यह वायरस नहीं लगता है, क्योंकि पकने के दौरान यह नष्ट हो जाता है। 

लक्षण 
Swine flu symptoms are common symptoms of Anfluenja. Fever, chills fast, muscle pain, sore throat, to grow, to come cough, sharp headache, weakness, etc. to feel the symptoms of the disease are emerging. Swine flu infection in humans have this year ,, the combination of three different types of viruses stems. The origin of the virus are unknown.


Swine flu virus
Swine flu virus
स्वाइन फ्लू के लक्षण  सामान्य एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह  होते हैं। बुखार, तेज ठंड लगना, , मांसपेशियों में दर्द होना,गला खराब हो जाना, , खाँसी आना,तेज सिरदर्द होना, कमजोरी महसूस करना इत्यादि  लक्षण इस बीमारी के दौरान उभरकर आते हैं। इस साल मनुष्यो  में जो स्वाइन फ्लू का संक्रमण हुआ है,,वह तीन अलग-अलग तरह के वायरसों के सम्मिश्रण से उपजा है। फिलहाल इस वायरस के उद्गम अज्ञात हैं।
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हैल्थ के अनुसार - यह वायरस अब केवल सूअरों तक सीमित नहीं है, इसने इंसानों के बीच फैलने की महारत  हासिल कर ली है। अमेरिका में 2005 से अब तक12 मामले ही सामने आए हैं। एन्फ्लूएंजा वायरस की खासियत यह है, यह लगातार अपना स्वरूप बदलता रहता है। इसकी वजह से यह उन एंटीबॉडीज को भी छका देता है, जो पहली बार हुए एन्फ्लूएंजा के दौरान विकसित हुई थीं। यही वजह है, एन्फ्लूएंजा के वैक्सीन का  इस वायरस पर असर नहीं होता है।

क्यों है खतरा  
1930 में पहली बार ए1एन1 वायरस के सामने आने के बाद 1998 तक इस वायरस के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं देखा गया। 1998 और 2002 के बीच इस वायरस के तीन विभिन्न स्वरूप सामने आए। इसके भी 5 अलग-अलग जीनोटाइप थे। मानव जाति के लिए जो सबसे बड़ा खतरा  सामने है, वह है स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस के म्यूटेट करने का जोकि स्पेनिश फ्लू की तरह घातक भी हो लग रहा  है। क्योकि  यह इंसानों के बीच फैलता है,इसलिए सारे विश्व के इसकी चपेट में आने का खतरा है। 
  
How to avoid 
सूअरों को एविएन और ह्यूमन एन्फ्लूएंजा स्ट्रेन दोनों का संक्रमण होता है। इसलिए उसके शरीर में एंटीजेनिक शिफ्ट के कारण नए एन्फ्लूएंजा स्ट्रेन का जन्म सम्भव है. किसी भी एन्फ्लूएंजा के वायरस का मानवों में संक्रमण श्वास प्रणाली के द्वारा होता है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति का खाँसना और छींकना या ऐसे उपकरणों का छूना  जो दूसरों के संपर्क में भी आता है, उन्हें संक्रमित कर सकता है। जो संक्रमित नहीं वे भी दरवाजा के हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर या टॉयलेट के नल के स्पर्श के बाद स्वयं की नाक पर हाथ लगाने भर से संक्रमित हो जाने की संभावना हैं। 

 सावधानियाँ 
During normal Anfluenja all precautions to keep the virus should be kept during the transition. Frequently wash your hands with soap or solution is required, which will eliminate the virus. Covering nose and mouth must wear Mosque. In addition to the need not only to spread the infection to be common places. 

 उपचार 
संक्रमण के लक्षण होने  के दो दिन के अंदर ही एंटीवायरल ड्रग देना  होता है। इससे एक तो मरीज को राहत मिलती है,तथा बीमारी की तीव्रता भी कम होती है।  तत्काल किसी अस्पताल में मरीज को भर्ती करा दें,ताकि जल्दी से उपचार  शुरू हो जाए और तरल पदार्थों को  पर्याप्त मात्रा में दे। अधिकतर मामलों में एंटीवायरल ड्रग तथा अस्पताल में भर्ती करने पर सफलतापूर्वक उपचार हो सकता है। 

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